दुश्मनों को भी दोस्त बना देती है,
राजनीती है ये कुछ भी करा देती है,
भाई को भाई से दरकार नहीं होती,
ये आम आदमी की सरकार नहीं होती…
यहाँ गरीब ही आना, गरीब रहना पड़ता है,
बदनसीबों का बन के नसीब रहना पड़ता है,
और जिन के भरोसें इनकी गाडी चलती है,
छुप–छुप के उनके करीब रहना पड़ता है…
नये–नवेलों को परवाज़ की हिदायत नहीं होती,
आचरण में दाग ना हो तो कोई इनायत नहीं होती,
पर्दा है, परहेज़ है, सफ़ेद कुर्ता शराफत का दस्तावेज़ है,
काले को सफ़ेद बनाती है, राजनीती सब को कहाँ आती है…
खाने के खिलाने के पुख्ता इंतज़ामात होते है,
शराफत सड़क पर नंगी सोती रौनक महलों में होती है,
यहाँ ना भाई भाई का हुआ बाप को बेटे से खतरा होता है,
राजनीती जिस्म–फरोशी है कोई किसी के साथ भी सोता है…