बड़े अख़बार में छोटी सी ख़बर बन के आ,
कुछ इस तरह खुलेआम नज़र बचा के,
आ तू भरे बाज़ार की तंग गली से गुज़र के आ,
आज इतवार है, स्कूल के सामने से मत आना,
तू फ़िल्मों के इशतहार के सामने से चल के आ…
गुलाब के सबसे अंदर वाली पंखुड़ी बन के आ,
शहर में कर्फ़्यू है लगा, तू फ़ौज के जैसे तन के आ,
हो बारात वहाँ, उस भरी भीड़ में तू मौज जैसे बन के आ,
अमावस की अंधेरी रात में तू दिये की लौ बन आ,
घर में हो मेहमान और तू नंगे बच्चे की हौ बन के आ…
चारों ओर मातम की सफ़ेदी है, तू थोड़ा भड़क के आ,
पतझड़ का हो मौसम, तू अकेला पत्ता पेड़ पे लटका जैसे,
सब इक लाइन में सीधे चलें, तू सर के बल चल के आ,
जमी हो बर्फ़ और हवाएँ सर्द हो, तो तू पिघल के आ,
दिलों में ख़ुशक़ियाँ हो जब जहाँ भर में, तो तू जल के आ…
सब छेड़ रहें हो कोई तार-तराना, तू चुप-चाप आ जाना,
सब जो धुँड रहे हो बहाना, तो तू सच ही ये बताना,
तुझे मुझसे मिलना है, इस बात का कर देना ख़ुलासा,
जो रूठें तो रूठने देना, तू ज़रा ना घबराना, ना शर्माना,
तू हवा है, मैं रेत, मुझे चल चल के उड़ाना…
मुझसे मिलने तू आना…