जो मिला वक़्त यही करता रहा,
खाली कागज़ लिए उन्हें भरता रहा,
कुछ जवाबों के सवाल मिलने लगे,
किताबों में रखे थे जो फूल खिलने लगे,
कुछ सुलझने भी उलझा ली मैंने,
ठंडी आग भी जला ली मैंने,
खाली भी अब मैं व्यस्त रहता हूँ,
शब्द बहाता हूँ मस्त रहता हूँ…
~ WorldPoetryDay ~
बोहत शुक्रिया आपका 😊🙏
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बहुत ही अच्छी लाइन लिखी है आप ने
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