~ महाभारत…
है कथा संग्राम की
विश्व के कल्याण की
धर्म अधर्म आदि अनंत
सत्य असत्य कलेश कलंक
सार्थ की कथा परमार्थ की |
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– महाभारत
शक्ति है भक्ति है
जन्मों की मुक्ति है
जीवन का ये सम्पूर्ण सार है
सत्य,
जन्म…मृत्यु है…
बीच विघ्न संसार है…
वक़्त का चक्र उलट सा गया घूम,
है पृथ्वी खड़ी वहीं और आदमी गया घूम …
कर लिया उसने यक़ीन,
कृष्ण नहीं गीता नहीं और ना गीता का सार,
ख़ुद ही करने लगा अपनी महिमा अपरंमपार.
कर ज़मीन को नाम अपने, छू लिया चाँद भी,
करते पूजा पथर की, पथर हो गया आदमी,
खोल हर एक कड़ी उसने सुलझा ली मौत भी,
दिया छोड़ जीना उसने अब…
करने मौत को परेशान,
अब वो ढूँढ रहा है, नयी इजाद,
कर रहा है… ना मरने की जिहाद…